Bruhad Dravya Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). Prakashakiy Nivedan.

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श्री स्वाभाविक चिदानन्दस्वरूपाय नमः
प्रकाशकीय निवेदन
आ ‘‘बृहदद्रव्यसंग्रह’’ ५८ गाथाओनो नानो ग्रंथ छे, परंतु विषय विवेचननी द्रष्टिए घणो
उपयोगी अने महत्वपूर्ण छे. ग्रन्थकारे आमां जैन सिद्धान्तनो सार भरी दीधो छे. जीवना नव
अधिकारोमां व्यवहार अने निश्चय
बन्ने नयोनुं संधिबद्ध कथन कर्युं छे.
आ ग्रन्थमां त्रण अधिकार छे. पहेला अधिकारमां छ द्रव्य अने पंचास्तिकायनुं, बीजामां
सात तत्त्व अने नव पदार्थोनुं तथा त्रीजामां निश्चय-व्यवहार मोक्षमार्गनुं प्रतिपादन उत्तम शैलीथी
करवामां आव्युं छे. सैद्धांतिक ज्ञान माटे तत्त्वार्थसूत्रनी जेम द्रव्यसंग्रह पण अत्यंत उपयोगी ग्रन्थ
छे, अने श्री समयसार आदि अध्यात्म-ग्रन्थो माटे प्रवेशिका समान छे. आ ग्रन्थना रचयिता श्री
नेमिचन्द्र सिद्धान्तदेव महान् आचार्य हता अने सिद्धांत तेम ज अध्यात्मना-ग्रन्थोना पारगामी हता.
बृहद्द्रव्यसंग्रहनी मात्र एक संस्कृत टीका उपलब्ध छे. श्री ब्रह्मदेवे आ टीका घणी सुंदर,
विस्तृत अने सप्रमाण लखी छे. तेओ बहुश्रुत विद्वान हता. अनेक जैन शास्त्रोनुं गहन अध्ययन
अने मनन कर्युं हतुं. तेमने नयोनुं उच्चकोटिनुं ज्ञान हतुं
परम पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीए आ ग्रन्थ उपर अपूर्व अने गंभीर प्रवचनो आप्यां
छे. तेमांथी प्रेरणा पामीने आ गुजराती अनुवाद प्रथमवार ज प्रसिद्ध थाय छे. आ प्रेरणा बदल
तेओश्रीनो अति अति उपकार मानीए छीए.
श्री ब्रह्मदेव संस्कृत टीका उपरथी आ गुजराती भाषान्तर सद्धर्मप्रेमी ब्र. भाईश्री व्रजलाल
गिरधरलाल शाहे करी आपेल छे. तेओ बी. ए. (ओनर्स) एस. टी. सी. होवा उपरांत
राष्ट्रभाषारत्न छे. तेओ अति नम्र, वैराग्यशील, बाल ब्रह्मचारी, उत्तम धार्मिकवृत्तिवाळा, निःस्पृही
सज्जन छे, वढवाण शहेरनी हाईस्कूलमां प्रतिष्ठाप्राप्त शिक्षक छे. तेओ दर वर्षे बन्ने वेकेशनमां
सोनगढ आवीने पूज्य गुरुदेवश्रीना कल्याणपथप्रदर्शक प्रवचनोनो तथा अध्यात्मचर्चानो लाभ ल्ये छे,
ग्रीष्मावकाशमां सोनगढमां चालता शिक्षणवर्गमां विद्यार्थीओने तेमनी सचोट शैलीथी शिक्षण आपे छे.
तेमणे घणा ग्रन्थोनो गुजराती अनुवाद कर्यो छे. आ शास्त्रनो गुजराती अनुवाद पण जिनवाणी प्रत्येनी
भक्तिवश अत्यंत उल्लासपूर्वक, तद्दन निःस्पृहभावे करी आप्यो छे ते माटे आ संस्था तेमनी अत्यंत
ॠणी छे अने धन्यवाद आपवा साथे अंतःकरणपूर्वक तेमनो आभार माने छे.
माननीय मुरब्बी श्री रामजीभाईए आखो अनुवाद खूब झीणवटथी तपासी आप्यो छे,
तेमज घणी जग्याए फुटनोटो लखीने विषयने अतिस्पष्ट कर्यो छे. वळी, तेमणे पाठ्य-पुस्तक तरीके
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