ग्रंथकर्तानुं मंगलाचरण ................................................................... १ -------------------- ४
मंगलाचणनुं फळ.......................................................................... १ -------------------- ६
शास्त्रनुं निमित्त कारण, प्रयोजन, परिमाण ......................................... १ -------------------- ७
नाम अने कर्ता
जीवद्रव्यना संबंधमां नव अधिकारोनुं संक्षेप कथन ................................ २ -------------------- ८
जीवनुं स्वरूप (चेतना) .................................................................. ३ ------------------ ११
उपयोगनुं स्वरूप ......................................................................... ४ ------------------ १४
ज्ञानोपयोगना भेद तथा स्वरूप ....................................................... ५ ------------------ १६
ज्ञान-दर्शन उपयोगना व्याख्याननो नय विभागथी उपसंहार ...................६ ------------------ २०
जीव व्यवहारथी मूर्त छे पण निश्चयथी अमूर्त छे ............................... ७ ------------------ २२
जीव निश्चयथी कर्मादिना कर्तापणाथी रहित होवा छतां
व्यवहारनयथी कर्मनो कर्ता थाय छे ....................................... ८ ------------------ २४
संसारी जीवनुं स्वरूप नयविभागथी ............................................... ११ ------------------ ३३
त्रस अने स्थावरना भेद, त्रस अने स्थावरनुं चौद जीवसमास
गुणस्थानोनां नाम अने लक्षण ...................................................... १३ ------------------ ३७
श्रावकनी अगीयार प्रतिमाओ........................................................ १३ ------------------ ४०