Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 83 of 205
PDF/HTML Page 105 of 227

 

background image
(प्रभुताकौ) ऐश्वर्य-मोटाईनो (मद न करै) घमंड करतो नथी
(सो) ते (निज) पोताना आत्माने (जानै) ओळखे छे; [जो जीव
तेनुं] (मद) अभिमान (धारै) करे छे तो (यही) ए उपर कहेल
मद (वसु) आठ (दोष) दोषरूपे थईने, (समकितकौ) सम्यक्त्व-
सम्यग्दर्शनमां (मल) दोष (ठानै) करे छे.
भावार्थपिताना गोत्रने कुळ अने माताना गोत्रने
जाति कहे छे. (१) पिता वगेरे पितृपक्षना राजा वगेरे प्रतापी
पुरुष होवाथी, (हुं राजकुमार छुं वगेरे) अभिमान करवुं ते
कुळमद छे. (२) मामा वगेरे मातृपक्षना राजा वगेरे प्रतापी
व्यक्ति होवानुं अभिमान करवुं ते जातिमद छे. (३) शरीरनी
सुंदरतानो गर्व करवो ते रूपमद छे. (४) पोतानी विद्या (कला-
कौशल्य अथवा शास्त्रज्ञान)नुं अभिमान करवुं ते ज्ञान (विद्या)
मद छे. (५) पोताना धन-दौलतनो गर्व करवो ते धन
(ॠद्धि)नो मद छे. (६) पोताना शरीरनी ताकातनो गर्व करवो
तेने बलमद कहे छे. (७) पोताना व्रत, उपवास वगेरे तपनो
गर्व करवो ते तपमद छे तथा (८) पोतानी मोटाई अने
आज्ञानुं अभिमान करवुं ते प्रभुता (पूजा) मद कहेवाय छे. १-
कुल, २-जाति, ३-रूप (शरीर), ४-ज्ञान (विद्या), ५-धन
(ॠद्धि), ६-बल, ७-तप, ८-प्रभुता (पूजा) आ आठ मददोष
कहेवाय छे. जे जीव आ आठनो गर्व करतो नथी ते ज जीव
आत्मानी प्रतीति (शुद्ध सम्यक्त्वनी प्राप्ति) करी शके छे. जो
तेनो गर्व करे छे तो ए मद सम्यग्दर्शनना आठ दोष थईने
तेने दूषित करे छे. (१३ उत्तरार्ध तथा १४ पूर्वार्ध.)
त्रीजी ढाळ ][ ८३