चरितमोहवश लेश न संजम, पै सुरनाथ जजै हैं;
गेही पै गृहमें न रचैं, ज्यों जलतैं भिन्न कमल है,
नगरनारिको प्यार यथा, कादेमें हेम अमल है.
निःशंकादि आठ गुणो सहित (सम्यग्दरश) सम्यग्दर्शनथी (सजै
हैं) भूषित छे [तेने] (चरितमोहवश) अप्रत्याख्यानावरणीय
चारित्रमोहनीय कर्मना उदयना वशे (लेश) जरापण (संजम)
संयम (न) नथी (पै) तोपण (सुरनाथ) देवोना स्वामी इन्द्र
[तेनी] (जजै हैं) पूजा करे छे, [ते जोके] (गेही) गृहस्थ छे
(पै) तोपण (गृहमें) घरमां (न रचैं) राचता नथी. (ज्यों) जेवी
रीते (कमल) कमळ (जलतैं) पाणीथी (भिन्न) अलग [तथा]
(यथा) जेम (कादेमें) कीचडमां (हेम) सुवर्ण (अमल) शुद्ध (है)
रहे छे; [तेम तेनो घरमां] (नगरनारिको) वेश्याना (प्यार यथा)
प्रेमनी माफक (प्यार) [होय छे.]