छे]; (पर-वधकार) बीजाने दुःखदायक, (कठोर) कठोर [अने]
(निंद्य) निंदवा योग्य (वचन) वचन (नहि उचारै) न बोलवां
ते [सत्य-अणुव्रत कहेवाय छे.]
तेमां सकलचारित्रनुं पालन मुनिराज करे छे अने देशचारित्रनुं
पालन श्रावक करे छे. आ चोथी ढाळमां देशचारित्रनुं वर्णन
करवामां आव्युं छे. सकलचारित्रनुं वर्णन छठ्ठी ढाळमां आवशे.
त्रस जीवोनी संकल्पी हिंसानो सर्वथा त्याग करी निष्प्रयोजन
स्थावर जीवोनो घात न करवो ते
जीवनी संकल्पी हिंसा करतो नथी. परंतु आ व्रतनो धारक आरंभी,
उद्योगिनी अने विरोधिनी हिंसानो त्यागी होतो नथी.
होवा छतां पण हिंसानो दोष लागतो नथी. जेम प्रमाद रहित
मुनि गमन करे छे; वैद-डॉकटर रोगीनो करुणाबुद्धिथी उपचार करे
छे; त्यां सामे निमित्तमां प्राणघात थतां हिंसानो दोष नथी.
तेना व्रतने सर्वज्ञदेवे बाळव्रत (अज्ञानव्रत) कहेल छे.