Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 11 (Dhal 4).

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प्राणोने घातक, कठोर अने निंदनीय वचन न बोलवा (अने
बीजा पासे न बोलाववा) ते सत्य-अणुव्रत छे.
अचौर्याणुव्रत, ब्रÙचर्याणुव्रत, परिग्रहपरिमाणाणुव्रत
तथा दिग्व्रतनुं लक्षण
जल-मृतिका विन और नाहिं कछु गहैं अदत्ता,
निज वनिता विन सकल नारिसों रहै विरत्ता;
अपनी शक्ति विचार, परिग्रह थोरो राखै,
दश दिश गमन प्रमाण ठान, तसु सीम न नाखै. ११.
अन्वयार्थ(जल-मृतिका विन) पाणी अने माटी
सिवायनी (और कछु) बीजी कोई चीज (अदत्ता) दीधा विना
(नाहिं) न (गहैं) लेवी [तेने] अचौर्याणुव्रत कहे छे. (निज)
पोतानी (वनिता विन) स्त्री सिवाय (सकल नारिसों) बीजी सर्व
स्त्रीओथी (विरत्ता) विरक्त (रहै) रहे [ते ब्रह्मचर्याणुव्रत छे].
चोथी ढाळ ][ ११७