Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Paheli Dhal Mangalacharan Mangalacharan Gatha.

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श्री सद्गुरुदेवाय नमः
अध्यात्मप्रेमी कविवर पंडित दौलतरामजीकृत
छ ढाळा
(सुबोध टीका)
मंगलाचरण
(सोरठा)
तीन भुवनमें सार, वीतराग-विज्ञानता;
शिवस्वरूप शिवकार, नमहुं त्रियोग सम्हारिकैं.
अन्वयार्थ(वीतराग) रागद्वेष रहित, (विज्ञानता)
केवळज्ञान (तीन भुवनमें) त्रण लोकमां (सार) उत्तम वस्तु
(शिवस्वरूप) आनंद-स्वरूप [अने] (शिवकार) मोक्षनी प्राप्ति
करावनार छे तेने हुं (त्रियोग) त्रण योगनी (सम्हारिकैं)
सावधानीथी (नमहुं) नमस्कार करुं छुं.
भावार्थराग-द्वेषरहित ‘केवळज्ञान’ ऊर्ध्व, मध्य अने
पाताळ ए त्रण लोकमां उत्तम, आनंदस्वरूप अने मोक्ष देनारुं
नोट आ ग्रंथमां सर्वत्र ( ) एवुं चिह्न मूळ ग्रंथना पदनुं जाणवुं
अने [ ] एवुं चिह्न उपरथी संधि मेळववा माटेनुं जाणवुं.