Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 1 (Dhal 1).

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पहेली ढाळ ][ ३
पहेली ढाळ
संसारनां दुःखोनुं वर्णन
ग्रन्थ-रचनानो उ÷ेश अने जीवनी चाहना :
जे त्रिभुवनमें जीव अनन्त, सुख चाहैं दुखतैं भयवन्त;
तातैं दुखहारी सुखकार, कहैं सीख गुरु करुणा धार. १.
अन्वयार्थ(त्रिभुवनमें) त्रणे लोकमां (जे) जे (अनन्त)
अनंत (जीव) प्राणी [छे ते] (सुख) सुखने (चाहैं) इच्छे छे अने
(दुखतैं) दुःखथी (भयवन्त) डरे छे (तातैं) तेथी (गुरु) आचार्य
(करुणा) दया (धार) करीने (दुखहारी) दुःखनो नाश करवावाळी
अने (सुखकार) सुखने आपवावाळी (सीख) शिक्षा-शिखामण
(कहैं) आपे छे.
भावार्थत्रण लोकमां जे अनंत जीव (प्राणी) छे ते
दुःखथी डरे छे अने सुखने चाहे छे तेथी आचार्य दुःखनो नाश
करवावाळी अने सुखने आपवावाळी शिखामण आपे छे. १.