मोह-महामद पियो अनादि, भूल आपको भरमत वादि. २.
ते शिक्षा (मन) मनने (थिर) स्थिर (आन) करीने (सुनो)
सांभळो [के आ संसारमां दरेक प्राणी] (अनादि) अनादि काळथी
(मोह-महामद) मोहरूपी जलद दारू (पियो) पीने, (आपको)
पोताना आत्माने (भूल) भूली (वादि) व्यर्थ (भरमत) भटके छे.
रीते कोई दारूडियो दारू पीने, नशामां चकचूर थईने, ज्यां
त्यां गोथां खाई पडे छे तेवी ज रीते जीव अनादिकाळथी
मोहमां फसी, पोताना आत्माना स्वरूपने भूली चारे गतिओमां