Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 12 (Dhal 1).

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करे छे, अर्थात् कूतरानी माफक हंमेशां अंदरोअंदर लडे छे अने
झघडा कर्या करे छे. ते एकबीजाना शरीरना टुकडे-टुकडा करी नांखे
छे छतां पण तेना शरीर पाछा मळी जवाथी
*पारानी माफक
फरीने जेवुं ने तेवुं थई जाय छे. संक्लिष्ट परिणामवाळा अम्ब
अने अम्बरीष वगेरे जातिना असुरकुमार देव पहेली, बीजी अने
त्रीजी नरक सुधी जईने त्यांना तीव्र दुःखी नारकीओने, पोताना
अवधिज्ञानथी वेर बतावीने अथवा क्रूरता अने कुतूहलथी
अंदरोअंदर लडावी मारे छे अने पोते आनंदित थाय छे. ते
नारकी जीवोने एटली बधी तरस लागे छे के जो मळे तो एक
महासागरनुं पाणी पण पी जाय तोपण तरस छीपी शकती नथी;
परंतु पीवाने पाणीनुं एक टीपुं पण मळतुं नथी. ११.
नरकनी भूख, नरकनुं आयु अने मनुष्यगति
प्राप्तिनुं वर्णन
तीन लोक को नाज जु खाय, मिटै न भूख कणा न लहाय;
ये दुख बहु सागर लौं सहे, करम-जोगतैं नरगति लहे. १२.
अन्वयार्थ [ए नरकोमां एटली भूख लागे छे के]
(तीन लोकको) त्रण लोकनुं (नाज) अनाज (जु खाय) खाई जाय
तोपण (भूख) भूख (न मिटै) मटी शके नहि, [परन्तु खावाने]
(कण) एक दाणो पण (न लहाय) मळतो नथी. (ये दुख) एवुं
दुःख (बहु सागर लौं) घणा सागरोपम काळ सुधी (सहै) सहन
*पारो एक धातुना रस जेवो होय छे. जमीन उपर फेंकवाथी अमुक
अंशे छूटो छूटो वींखराई जाय छे. फरी एकठो करी देवाथी पोते
स्वयं एक पिंड थई जाय छे.
पहेली ढाळ ][ १५