सहन करे छे. कर्मना तीव्र उदयमां न जोडातां
जीव पुरुषार्थ वडे मंद कषायरूप परिणमे ते.
अग्निकायिक — अग्नि ज जेनुं शरीर होय छे एवो जीव.
असंज्ञी — शिक्षा अने उपदेश ग्रहण करवानी शक्तिरहित प्राणी
असंज्ञी कहेवाय छे.
इन्द्रिय — आत्माना चिह्नने इन्द्रिय कहे छे.
एकेन्द्रिय — जेने एक स्पर्शन इन्द्रिय ज होय छे एवो जीव.
गति नामकर्म — जे कर्म, जीवना आकार नारकी, तिर्यंच, मनुष्य
अने देव जेवा बनावे.
गति — जेना उदयथी जीव बीजो पर्याय (भव) पामे छे.
चिन्तामणि — इच्छा करवा मात्रथी इच्छानुसार वस्तु देवावाळुं
एक खास रत्न.
तिर्यंचगति — तिर्यंचगति नामकर्मना उदयथी तिर्यंचमां जन्म
लेवो. (पेदा थवुं).
देवगति — देवगति नामकर्मना उदयथी देवमां जन्म लेवो.
नरक — पापकर्मना उदयमां जोडावाथी जेमां जन्मथी ज
जीव, असह्य अने अपरिमित वेदना पामवा लागे
छे, बीजा नारकीओ मारफत सतावुं वगेरेथी
दुःखनो अनुभव करे छे तथा ज्यां द्वेषथी भरेलुं
जीवन वीते छे ते स्थान.
पहेली ढाळ ][ २५