Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Paheli Dhalano Bhed-sangrah Paheli Dhalano Lakshan-sangrah.

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रीते चारे गतिओमां प्राणीने क्यांय पण सुख अने शांति मळतां
नथी. आ रीते पोताना मिथ्याभावोना कारणे निरंतर संसार-
चक्रमां परिभ्रमण कर्या ज करे छे.
पहेली ढाळनो भेद-संग्रह
एकेन्द्रियपृथ्वीकायिक जीव, अपकायिक जीव, अग्निकायिक
जीव, वायुकायिक जीव अने वनस्पतिकायिक जीव.
गतिमनुष्यगति, तिर्यंचगति, देवगति अने नरकगति.
जीवसंसारी अने मुक्त
त्रसद्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय अने पंचेन्द्रिय.
देवभवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिषी अने वैमानिक.
पंचेन्द्रियसंज्ञी अने असंज्ञी.
योगमन, वचन अने काया; अथवा द्रव्य अने भाव.
लोकऊर्ध्व, मध्य अने पाताळ.
वनस्पतिसाधारण अने प्रत्येक.
वैमानिककल्पोत्पन्न, कल्पातीत ए बे भेद छे.
संसारीत्रस अने स्थावर अथवा एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय,
त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय.
पहेली ढाळनो लक्षण-संग्रह
अकामनिर्जरासहन करवानी अनिच्छा छतां रोग, क्षुधादि
२४ ][ छ ढाळा