चीरावुं, कडाईमां ऊकळवुं, टुकडेटुकडा करी नांखवा वगेरेथी अनंत
दुःखो उठावे छे. तोपण पळ मात्र साता (शान्ति) मळती नथी,
कारण के शरीरना टुकडेटुकडा थवा छतां पण पारांनी माफक
फरीथी जेवुं ने तेवुं मळी जाय छे. आयु पूर्ण थया विना मरण
थतुं नथी. नरकमां आवां दुःखो ओछामां ओछा दश हजार वर्ष
सुधी तो सहन करवां ज पडे छे पण जो उत्कृष्ट आयुष्यनो बंध
पड्यो होय तो तेत्रीस सागरोपम वर्ष सुधी शरीर छूटतुं नथी.
पेटमां ज केद रहे छे, त्यां शरीर संकोचाईने रहेवाथी घणी
तकलीफ पामे छे. बाळपणमां ज्ञान वगर, जुवानीमां विषय-
भोगोमां आसक्तिवश अने घडपणमां इन्द्रियोनी शिथिलता
अथवा मरणपर्यंत क्षयरोग (टी.बी.) वगेरेना कारणे आत्म-
दर्शनथी विमुख रहे छे, अने आत्मोद्धारनो मार्ग पामतो नथी.
दुःखी थतो रहे छे. कदाचित
अंत समये मंदारमाळा करमाई जतां आभूषणो अने शरीरनी
कांति क्षीण थतां मृत्यु नजीक आव्युं जाणीने घणो दुःखी थाय
छे अने वलखां मारी मारीने मरे छे. अने पछी एकेन्द्रिय जीव
सुद्धां थाय छे एटले के फरीने तिर्यंचगतिमां जई पडे छे. आवी