Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Antar-pradarshan.

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सागरबे हजार गाउ ऊंडो अने बे हजार गाउ पहोळो एवा
गोळ खाडामां, कातरथी जेना बे टुकडा न थई शके
एवा अने एक दिवसथी सात दिवस सुधीना जन्मेला
उत्तम भोगभूमिना घेटांना वाळथी ते खाडो पूरो
भरवो. तेमांथी एक वाळने सो सो वरसे काढवो.
जेटला काळमां ते बधा वाळने पूरा काढी नाखवामां
आवे तेटला काळने ‘‘व्यवहार पल्य’’ कहे छे,
व्यवहार पल्यथी असंख्यातगुणा उद्धार पल्य अने
उद्धार पल्यथी असंख्यातगुणा काळने अद्धापल्य कहे
छे, दस क्रोडाक्रोडी (१० करोड
×१० करोड)
अद्धापल्योने एक सागर कहे छे.
संज्ञीशिक्षा अने उपदेश ग्रहण करवानी शक्तिवाळा
मनसहित प्राणी.
स्थावरथावर नामकर्मना उदय सहित पृथ्वी-जळ-अग्नि-वायु
अने वनस्पतिकायिक जीव.
अन्तर-प्रदर्शन
१. त्रसोने तो त्रस नामकर्मनो उदय होय छे परन्तु स्थावरोने
स्थावर नामकर्मनो उदय होय छे. आ ए बेमां अन्तर छे.
नोंधत्रस अने स्थावरमां, चाली शके अने न चाली शके ए
अपेक्षाथी अंतर बताववुं ठीक नथी, कारण के एम
मानवाथी गमन विनाना अयोगी केवलीमां स्थावरनुं लक्षण
अने गमन सहित पवन वगेरे एकेन्द्रिय जीवोमां त्रसनुं
लक्षण मळवाथी अतिव्याप्ति दोष आवे छे.
२८ ][ छ ढाळा