Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Pratham Dhalani Prashnavali.

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२. साधारणने आश्रये अनंत जीवो रहे छे पण प्रत्येकने
आश्रये एक ज जीव रहे छे.
३. संज्ञी तो शिक्षा अने उपदेश ग्रहण करी शके छे, पण
असंज्ञी नहि.
नोंधकोईनुं पण अंतर बताववा माटे बधे ठेकाणे, आ
शैलीनुं अनुकरण करवुं जोईए; फक्त लक्षण बताववा
मात्रथी अंतर नीकळतुं नथी.
प्रथम ढाळनी प्रश्नावली
१. असंज्ञी, ऊर्ध्वलोक, एकेन्द्रिय, कर्म, गति, चतुरिन्द्रिय, त्रस,
त्रीन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, पाताललोक, पंचेन्द्रिय, प्रत्येक, मध्यलोक,
वीतराग, वैक्रियक शरीर, साधारण अने स्थावरना लक्षण
बतावो.
२. साधारण (निगोद) अने प्रत्येकमां, त्रस अने स्थावरमां,
संज्ञी अने असंज्ञीमां अंतर बतावो.
३. असंज्ञी तिर्यंच, त्रस, देव, निर्बल, निगोद, पशु,
बाल्यावस्था, भवनत्रिक, मनुष्य, यौवन, वृद्धावस्था,
वैमानिक, सबल, संज्ञी, स्थावर, नरकगति, नरकनी भूख,
प्यास, शरदी, गरमी, भूमिस्पर्श अने असुरकुमारना
दुःखो, अकामनिर्जरानुं फळ, असुरकुमारनुं काम अने
गमन, नारकीना शरीरनी विशेषता अने अकाळ मरणनो
अभाव, मंदारमाळा, वैतरणी अने शीतथी लोढानो गोळो
गळी जवो, तेनुं स्पष्ट वर्णन करो.
पहेली ढाळ ][ २९