Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 2 (Dhal 2).

< Previous Page   Next Page >


Page 32 of 205
PDF/HTML Page 54 of 227

 

background image
(भरत) भोगवतो थको [चारे गतिओमां] (भ्रमत) भटकतो फरे
छे. (तातैं) तेथी (इनको) ए त्रणने (सुजान) सारी रीते जाणीने
(तजिये) छोडी देवां जोईए. [माटे] (तिन) ए त्रणनुं (संक्षेप)
संक्षेपथी (कहूं बखान) वर्णन कहुं छुं ते (सुन) सांभळो.
भावार्थआ गाथा उपरथी एम समजवुं के मिथ्या-
दर्शन-ज्ञान-चारित्रथी ज जीवने दुःख थाय छे अर्थात् शुभाशुभ
रागादि विकार तथा पर साथे एकपणाना श्रद्धा-ज्ञान अने एवा
मिथ्या आचरणथी ज जीव दुःखी थाय छे. केम के कोई संयोग
सुख-दुःखनुं कारण थई शकतुं नथी, एम जाणीने सुखार्थीए ए
मिथ्याभावोनो त्याग करवो जोईए. एटला माटे ज हुं अहीं
संक्षेपथी ए त्रणनुं वर्णन करुं छुं. १.
अगृहीत-मिथ्यादर्शन अने जीवतत्त्वनुं लक्षण
जीवादि प्रयोजनभूत तत्त्व, सरधैं तिनमांहि विपर्ययत्व;
चेतनको है उपयोग रूप, बिनमूरत चिन्मूरत अनूप. २.
३२ ][ छ ढाळा