Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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(दौलत) हे दौलतराम! (निजआतम) पोताना आत्मामां (अब)
हवे (सुपाग) सारी रीते लीन थाओ.
भावार्थआत्महितैषी जीवे निश्चय सम्यग्दर्शन-ज्ञान-
चारित्र ग्रहण करीने, गृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र तथा
अगृहीत मिथ्यादर्शन-मिथ्याज्ञान-मिथ्याचारित्रनो त्याग करीने,
आत्मकल्याणना मार्गमां लागवुं जोईए. पंडित श्री दौलतरामजी
पोताना आत्माने संबोधी कहे छे के, हे आत्मन्
! पराश्रयरूप
संसार अर्थात् पुण्य-पापमां भटकवुं छोडी दईने सावधानीथी
आत्मस्वरूपमां लीन था.
४८ ][ छ ढाळा