आतम-अनात्मके ज्ञानहीन, जे जे करनी तन करन छीन. १४.
करीने (देहदाह करन) शरीरने पीडा करवावाळां (आतम अनात्म
के) आत्मा अने परवस्तुओना (ज्ञानहीन) भेदज्ञानथी रहित
(तन) शरीरने (छीन) क्षीण (करन) करवावाळी (विविध विधि)
अनेक प्रकारनी (जे जे करनी) जे जे क्रियाओ छे ते बधी
(मिथ्याचारित्र) मिथ्याचारित्र कहेवाय छे.
कषायने वशीभूत थईने शरीरने क्षीण करवावाळी अनेक प्रकारनी
क्रिया करे छे तेने ‘गृहीत मिथ्याचारित्र’ कहे छे.
जगजाल-भ्रमणको देहु त्याग, अब दौलत
(हित) कल्याणना (पंथ) मार्गे (लाग) लागी जाओ, (जगजाल)
संसारनी जाळमां (भ्रमणको) भटकवानो (त्याग देहु) त्याग करो.