Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Biji Dhalano Bhed-sangrah.

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श्रद्धा-ज्ञान-चारित्र पोताना आत्माना ज आश्रये होय छे तेनी
तेने खबर होती नथी.
(४) वळी कुदेव-कुगुरु-कुशास्त्र अने कुधर्मनी श्रद्धा, पूजा,
सेवा अने विनय करवानी जे जे प्रवृत्ति छे ते पोताना
मिथ्यात्वादिना महान दोषोनी पोषण करनारी होवाथी दुःखदायक
छे, अनंत संसारभ्रमणनुं कारण छे. जे जीव तेनुं सेवन करे छे,
कर्तव्य समजे छे ते दुर्लभ मनुष्यजीवनने नष्ट करे छे.
(५) अगृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र जीवने अनादि
काळथी होय छे, वळी ते मनुष्य थया पछी कुशास्त्रनो अभ्यास
करी, अथवा कुगुरुनो उपदेश स्वीकारी, गृहीत मिथ्याज्ञान-
मिथ्याश्रद्धा धारण करे छे. तथा ते कुमतने अनुसरी मिथ्याक्रिया
करे छे ते गृहीत मिथ्याचारित्र छे. माटे जीवे सारी रीते सावधान
थईने गृहीत अने अगृहीत बन्ने प्रकारना मिथ्याभावो छोडवा
योग्य छे अने एनो यथार्थ निर्णय करी, निश्चयसम्यग्दर्शन प्रगट
करवुं जोईए. मिथ्याभावोनुं सेवन करी करीने, संसारमां भटकी,
अनंत जन्म धारण करी अनंतकाळ गुमाव्यो, हवे तो सावधान
थईने आत्मोद्धार करवो जोईए.
बीजी ढाळनो भेद-संग्रह
इन्द्रियविषयस्पर्श, रस, गंध, वर्ण अने शब्द.
तत्त्वजीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष.
द्रव्यजीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश अने काळ.
मिथ्यादर्शनगृहीत, अगृहीत.
५० ][ छ ढाळा