मिथ्याज्ञान, गृहीत मिथ्याचारित्र, छ द्रव्यो अने मिथ्या-
द्रष्टिनी अपेक्षाए जीवादि ए बधांनुं लक्षण बतावो.
जीवमां; सुगुरु, कुगुरु अने विद्यागुरुमां शो तफावत छे ते
दर्शावो.
बीजी ढाळमां कहेवायेली हकीकत, मरण वखते जीवने
नीकळता नहीं देखवानुं कारण, मिथ्याद्रष्टिनी रुचि,
मिथ्याद्रष्टिनी अरुचि, मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्रनी सत्तानो
काळ, मिथ्याद्रष्टिने दुःख आपनारी वस्तु, मिथ्या-धार्मिक
कार्यो करवाथी हानि, अने सात तत्त्वोनी विपरीत श्रद्धाना
प्रकार वगेरेनुं स्पष्ट वर्णन करो.
प्रयोजन, दुःख, मोक्षसुखनी अप्राप्ति अने
संसारपरिभ्रमणना कारणो दर्शावो.