Chha Dhala (Hindi). Teesaree dhalkee prashnavali.

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(७) सामान्य धर्म अथवा गुण तो अनेक वस्तुओंमें रहता है; किन्तु
विशेष धर्म या विशेष गुण तो अमुक खास वस्तुमें ही होता
है ।
(८) सम्यग्दर्शन अंगी है और निःशंकित अंग उसका एक अंग
है ।
तीसरी ढालकी प्रश्नावली
(१) अजीव, अधर्म, अनायतन, अलोक, अन्तरात्मा, अरिहन्त,
आकाश, आत्मा, आस्रव, आठ अंग, आठ मद, उत्तम
अन्तरात्मा, उपयोग, कषाय, काल, कुल, गन्ध, चारित्रमोह,
जघन्य अन्तरात्मा, जाति, जीव, मद, देवमूढ़ता, द्रव्यकर्म,
निकल, निश्चयकाल, सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र, मोक्षमार्ग,
निर्जरा, नोकर्म, परमात्मा, पाखंड़ी मूढ़ता, पुद्गल, बहिरात्मा,
बन्ध, मध्यम अन्तरात्मा, मूढ़ता, मोक्ष, रस, रूप, लोकमूढ़ता,
विशेष, विकलत्रय, व्यवहारकाल, सम्यग्दर्शन, शम, सच्चे
देव-शास्त्र-गुरु, सुख, सकल परमात्मा, संवर, संवेग,
सामान्य, सिद्ध तथा स्पर्श आदिके लक्षण बतलाओ ।
(२) अनायतन और मूढ़तामें, जाति और कुलमें, धर्म और
धर्मद्रव्यमें, निश्चय और व्यवहारमें, सकल और निकलमें,
सम्यग्दर्शन और निःशंकित अंगमें तथा सामान्य और विशेष
आदिमें क्या अन्तर है ।
(३) अणुव्रतीका आत्मा, आत्महित, चेतनद्रव्य, निराकुलदशा
अथवा स्थान, सात तत्त्व, उनका सार, धर्मका मूल, सर्वोत्तम
धर्म, सम्यग्दृष्टिको नमस्कारके अयोग्य तथा हेय-उपादेय
तत्त्वोंके नाम बतलाओ ।
९२ ][ छहढाला