Chha Dhala (Hindi). Drayarthik nayase nishchayka swaroop tatha usake ashray se honewalee shuddh paryay Paryayarthiknayse nishchay aur vyavahar ka swaroop tatha vyavahar paryayka swaroop.

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शुभभावको वे धर्म नहीं मानते। आदिका वर्णन छठवीं ढालमें
किया है।
द्रव्यार्थिकनयसे निश्चयका स्वरूप तथा
उसके आश्रयसे होनेवाली शुद्ध पर्याय
आत्माका स्वभाव त्रिकाली शुद्ध अखण्ड चैतन्यमय है,
वह सम्यग्दर्शनका तथा निश्चयनयका विषय होनेसे द्रव्यार्थिकनय
द्वारा उस त्रिकाली शुद्ध अखण्ड चैतन्यस्वरूप आत्माको ‘निश्चय’
कहा जाता है, आत्माका वह त्रिकाली सामान्यस्वभाव
द्रव्यार्थिकनयसे आत्माका स्वरूप है, उस त्रैकालिक शुद्धताकी
ओर उन्मुखतासे जीवकी जो शुद्ध पर्याय प्रगट होती है उसे
निश्चयनयसे मोक्षमार्ग कहा जाता है फि र भी वह आत्माका
पर्याय (अंश-भेद) होनेसे उसे ‘व्यवहार’ कहा जाता है, वह
सद्भुतव्यवहार है; और अपनी वर्तमान पर्यायमें जो विकारका
अंश रहता है वह पर्याय(अंश-भेद) असद्भूतव्यवहारनयका विषय
है। असद्भुतव्यवहार जीवका परमार्थस्वरूप न होनेसे दूर हो
सकता है और इसलिए निश्चयनयसे वह जीवका स्वरूप नहीं
है
ऐसा समझना।
पर्यायार्थिकनयसे निश्चय और व्यवहारका
स्वरूप अथवा निश्चय तथा व्यवहार पर्यायका
स्वरूप
उपरोक्त स्वरूपको न जाननेवाले जीव ऐसा मानते हैं कि
शुभ करते-करते धर्म (शुद्धता) होता है; तथा वे शुभको व्यवहार
मानते हैं और व्यवहार करते-करते भविष्यमें निश्चय (शुद्धभाव
धर्म) हो जायेगा ऐसा मानते हैंयह एक महान् भूल है; इसलिए
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