Chha Dhala (Hindi).

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है कि एक लाख योजन ऊँचे सुमेरु पर्वतके बराबर लोहेका पिण्ड
भी पिघल
जाता है; तथा इतनी ठण्ड पड़ती है कि सुमेरुके समान
लोहेका गोला भी गल जाता है । जिस प्रकार लोकमें कहा जाता
है कि ठण्डके मारे हाथ अकड़ गये, हिम गिरनेसे वृक्ष या अनाज
मेरुसम लोहपिण्डं, सीदं उण्हे विलम्मि पक्खितं ।
ण लहदि तलप्पदेशं, विलीयदे मयणखण्डं वा ।।
मेरुसम लोहपिण्डं, उण्हं सीदे विलम्मि पक्खितं ।
ण लहदि तलं पदेशं, विलीयदे लवणखण्डं वा ।।
अर्थ–जिस प्रकार गर्मीमें मोम पिघल जाता है; (बहने लगता है;)
उसी प्रकार सुमेरु पर्वतके बराबर लोहेका गोला गर्म बिलमें फें का
जाये तो वह बीचमें ही पिघलने लगता है
तथा जिस प्रकार ठण्ड और बरसातमें नमक गल जाता है, (पानी
बन जाता है,) उसीप्रकार सुमेरुके बराबर लोहेका गोला ठण्डे
बिलमें फें का जाये तो बीचमें ही गलने लगता है
पहले, दूसरे,
तीसरे और चौथे नरककी भूमि गर्म है; पाँचवें नरक में ऊ परकी
भूमि गर्म तथा नीचे तीसरा भाग ठण्डा है
छठवें तथा सातवें
नरककी भूमि ठण्डी है
पहली ढाल ][ १३