रामजीभाई माणेकचन्द दोशीने सम्पादित किया था । हिन्दीमें तो
इस पुस्तककी अनेक आवृत्तियाँ (अन्य संस्थाओं द्वारा) निकल
चुकी हैं । इस आवृत्तिमें प्रकरणके अनुसार भावपूर्ण तथा बालसुबोध
चित्र अंकित किये गये हैं, यह इसकी विशेषता
स्वाध्याय भी कई जगह होती है ।
विषयवस्तुको यथार्थतया समझनेके लिए मुमुक्षुओंको वे प्रवचनोंको
अच्छी तरह सुनना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमानयुगमें परमोपकारी
पूज्य गुरुदेवश्री तथा पूज्य बहिनश्री चंपाबहिनके उपकार प्रतापसे
ही हम ऐसे ग्रंथोंको पढ़कर अपना आत्महित साध सकते हैं।
मतके एकांत अभिप्रायोंका निषेध किया गया है, अतः इसका