Chha Dhala (Hindi). Prakashkiy Nivedan (Pratham Avrutti).

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प्रकाशकीय निवेदन
[प्रथम आवृत्ति]
अध्यात्मप्रेमी कविवर पं. दौलतरामजी कृत छहढालाका यह
अर्थ गुजरातीमें स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट सोनगढके भूतपूर्व प्रमुख श्री
रामजीभाई माणेकचन्द दोशीने सम्पादित किया था । हिन्दीमें तो
इस पुस्तककी अनेक आवृत्तियाँ (अन्य संस्थाओं द्वारा) निकल
चुकी हैं । इस आवृत्तिमें प्रकरणके अनुसार भावपूर्ण तथा बालसुबोध
चित्र अंकित किये गये हैं, यह इसकी विशेषता
नवीनता है । इससे
पाठकोंका अभ्यासमें मन लगेगा और समझनेमें सुगमता होगी ।
सोनगढमें प्रतिवर्ष शिक्षणवर्गमें और अनेक जैन
पाठशालाओंमें यह पुस्तक पढ़ाई जाती है और इसकी सामूहिक
स्वाध्याय भी कई जगह होती है ।
परमोपकारी पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीने इस लघुकाय
ग्रंथ पर निजात्मकल्याणकारी प्रवचन किए हैं। इस ग्रंथके
विषयवस्तुको यथार्थतया समझनेके लिए मुमुक्षुओंको वे प्रवचनोंको
अच्छी तरह सुनना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमानयुगमें परमोपकारी
पूज्य गुरुदेवश्री तथा पूज्य बहिनश्री चंपाबहिनके उपकार प्रतापसे
ही हम ऐसे ग्रंथोंको पढ़कर अपना आत्महित साध सकते हैं।
छहढाला पढ़नेमें समाजकी अत्यधिक रुचि रही है। इस
पुस्तकमें सब कथन जिनागम अनुकूल है। उनमें जिनमतसे विरुद्ध
मतके एकांत अभिप्रायोंका निषेध किया गया है, अतः इसका