Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Manani Pancha Bhoomika.

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मननी पांच भूमिका
परिणाम मनद्वारा थईने वर्ते छे. ते मननी पांच भूमिका छे
१. क्षिप्त, २. विक्षिप्त, ३. मूढ, ४. चिंतानिरोध अने ५. एकाग्र,
आ (पांच) भूमिकाओमां मननुं फरवुं छे. तेनुं विवेचन कहीए
छीएः
१. क्षिप्त तेने कहीए के ज्यां विषयकषायमां व्याप्त थईने
रंजकरूप (अशुद्ध) भावमां सर्वस्व जोयुं (मानी लीधुं) छे
२. विक्षिप्त (तेने) कहीए [के ज्यां] चिंतानी आकुळतावडे कांई
विचार ऊपजी शके नहि.
३. मूढ (तेने) कहीए के ज्यां हितने अहित माने, अहितने
हित माने, देवने कुदेव माने, कुदेवने देव माने, धर्मने अधर्म माने,
अधर्मने धर्म माने, परने स्व माने अने पोताने जाणे नहि. [ए
प्रमाणे] विवेक रहित (होय तेने) मूढ मन कहीए.
४. जे चिंतानिरोध कहीए ते एकाग्रताने कहीए.
५. ब्रह्म विषे स्थिरता थई, स्वरूपरूप परिणम्यो, एकत्व
ध्यान थयुं ते स्वरूपएकाग्रता छे. परविषे एकाग्रपणुं तो थाय छे
परंतु तेमां तो आकुळता छे, ते अनेक विकल्पनुं मूळ छे, दुःख अने
बाधानो हेतु छे, माटे तेने एकाग्र न कहीए. अहीं स्वरूप
स्थिति(रूप) एकाग्र जाणवुं. पर विषे (एकाग्रता) बंधनुं मूळ छे.
ते स्वरूप
साधक छे के जेणे पोतामां एकाग्रचिंतानिरोध कर्यो छे,
[तेनो उपयोग] परमा लागे त्यां पण ते एवो ज स्थिर रहे छे
के अन्य चिंता रहेती नथी. सामान्यपणे आ पांचे (भूमिका) संसार
"