Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Darshan gunanu Swaroop.

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२० ]
चिद्दविलास
दर्शनगुणनुं स्वरुप
हवे दर्शनना भेद कहीए छीएः
जे देखे छे ते दर्शन छे अथवा जेना वडे जीव देखे छे तेने दर्शन
कहीए. निराकार उपयोगरूप द्रशि (दर्शन) शक्ति छे. आ संबंधमां
जिनागममां एम कह्युं छे के ‘निराकारं दर्शनं, साकारं ज्ञानं (एटले के
दर्शन निराकार छे अने ज्ञान साकार छे अर्थात् दर्शननो विषय निराकार
छे अने ज्ञाननो विषय साकार छे.) जो दर्शन गुण न होय तो वस्तु
अद्रश्य थतां सर्व वस्तुओनुं ज्ञान ज न थाय अने एम थतां ज्ञेयोनो
अभाव ठरे, माटे दर्शन प्रधान गुण छे.
‘सामान्यं दर्शनं विशेषं ज्ञानं’ [दर्शन सामान्य छे अने ज्ञान विशेष
छे अर्थात् दर्शननो विषय सामान्य छे ने ज्ञाननो विषय विशेष छे]
एम (आगममां) कह्युं छे. कोई एक वक्ताए ‘सिद्धस्तोत्र’नी टीका करी
छे तेणे तथा बीजाए पण एम कह्युं छे के सामान्य शब्दनो अर्थ आत्मा
कह्यो छे, [तेथी] आत्मानुं अवलोकन ते दर्शन छे अने स्व
परनुं
अवलोकन ते ज्ञान छे. [परंतु] एम कहेवाथी एक गुण ज ठरे [केमके]
जे दर्शन आत्म-अवलोकनमां हतुं ते ज परअवलोकनमां आव्युं;
आवरण बे न होय. परंतु आ कथन तो निःसंदेह छे के ज्ञानावरण
अने दर्शनावरण ए बे जतां सिद्ध भगवानने (केवळज्ञान अने
केवळदर्शन) एवा बे गुणो प्रगटे छे.
[वळी जो] आत्मानुं अवलोकन ज दर्शन होय तो सर्वदर्शित्व
१. जुओ समयसार गुजराती पृ. ५०३