Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration).

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३० ]
चिद्दविलास
थया; परंतु ए (सूक्ष्मतारूप) परिणमनशक्ति द्रव्यथी छे. द्रव्य
गुणलक्षणरूपे परिणमे छे. तेथी क्रमअक्रम स्वभाव द्रव्यनो कह्यो छे. तेनुं
समाधान करीए छीए.
क्रमना बे भेद कह्या छेएक प्रवाहक्रम (अने) एक विष्कंभक्रम.
प्रवाहक्रम एने कहीएजेम अनादिथी काळनो समयप्रवाह चाल्यो आवे
छे तेम द्रव्यमां समये समये परिणाम ऊपजेएवो प्रवाह चाल्यो आवे
छे तेने प्रवाहक्रम कहीए. ते (प्रवाहक्रम) द्रव्यना परिणाम विषे छे. आ
बाबत सिद्धांत प्रवचनसारजी (गा. ९९)मां कह्युं छे त्यांथी जाणवुं.
विष्कंभक्रम गुणोनो छे; ते गुणो पहोळाईरूप (
विस्ताररूप) छे.
प्रदेशोनो प्रदेशो पहोळाईरूप छे तेने क्रमथी गणतां असंख्य थाय छे.
आ क्रम गुणमां छे तेथी (तेने) विष्कंभक्रम कहीए; अथवा गुणक्रमथी
कहीए (तो) दर्शन, ज्ञान इत्यादि सर्वे विस्तारने धरे छे तेथी (तेने)
विष्कंभक्रम कहीए. अहीं प्रवाहक्रम द्रव्यना परिणाम वडे छे तेथी
गुणोमां [ते] नथी, माटे गुण (ते) परिणतिनो प्रवाह नथी, गुणथी (तो)
विस्तारक्रम ज कह्यो छे.
द्रव्यनी परिणति छे ते सर्वे गुणोमां छे. आत्मा ज्ञानमय परिणमे
छे, ज्ञान जाणपणारूप परिणमे छे एम लक्ष्यलक्षणरूप भेदथी तो एक
परिणाममां भेद छे, परंतु एवुं तो नथी के ज्ञाननी परिणति जुदी छे
ने आत्मानी (परिणति) जुदी छे. एम मानवाथी (ते बंनेनुं) सत्त्व जुदुं
ठरे छे, सत्त्व जुदुं थतां वस्तु अनेक (थईने) जुदी जुदी अवस्था धारण
करीने वर्ते. एम थतां तो विपर्यय थाय छे, वस्तुनो अभाव थाय छे.
त्यां प्रश्न ऊपजे छे के(गुण अने द्रव्यनी) जुदी परिणति
मानवामां शुं दोष छे? गुण (अने) आत्मानी अभेद परिणति
मानवाथी तो ज्ञान जाणपणारूप परिणमे, दर्शन देखवारूप परिणमे एम
कहेवुं वृथा थयुं, अभेदमां भेद ऊपजे नहि, माटे समाधान करो.
समाधाान :द्रव्यना परिणामनी वृत्ति ऊठतां, द्रव्य अनंत गुणनो