एक छे. (परिणाम) द्रव्यमय परिणमतां गुण आव्या तेथी गुणमय
परिणाम छे. आ प्रकारे एक वस्तुना परिणाम निर्विकल्प छे. ज्ञानरूप
आत्मा परिणम्यो तो परिणाम जाणपणामां आव्या. तेथी ज्ञान
जाणपणारूप परिणमे छे एवी विवक्षा छे ते जाणवी.
वेदनमां सर्वस्व परिणाम ते वेदकता छे. गुण परिणामथी गुणना
आस्वादनो लाभ थाय छे; द्रव्य परिणामथी द्रव्यना आस्वादनो लाभ
थाय छे, कहेवामां तो लक्ष्य
अभेद निश्चयमां
एक ज छे. सामान्यताथी निर्विकल्प छे; विशेषताथी शिष्यने प्रतिबोध
करवामां आवे त्यारे जेम जेम शिष्य, गुरुना प्रतिबोधवाथी गुणनुं
स्वरूप जाणी जाणीने विशेष भेदी थतो जाय तेम तेम ते शिष्यने
आनंदना तरंग ऊठे, ते समये वस्तुनो निर्विकल्प आस्वाद करे. आ
कारणे गुण-गुणीनो विचार योग्य छे. गुणनां विशेषने (परिणाम) कह्या
छे; आ परिणामथी ज उत्पाद-व्ययवडे वस्तुनी सिद्धि छे एम कहीए
छीए.