Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Karan-Karyabhav.

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चिद्दविलास
कारणकार्यभाव
प्रथम ज सर्व सिद्धांतनुं मूळ ए छे के वस्तुना कारण-कार्य
जाणवा; जेटला संसारथी पार थया छे ते सर्वे परमात्मानां कारण-कार्य
जाणी जाणीने थया छे. त्रणे काळे जे परमात्माने ध्याववाथी मुक्त थया
तेना (
ते परमात्माना) कारण-कार्य जो न जाण्या तो तेणे शुं जाण्युं?
(कांई जाण्युं नथी.) माटे कारणकार्य जाणवा जोईए.
ते कारणकार्य कई रीते ऊपजे छे ते कहीए छीएः
पुव्वपरिणामजुत्तं कारणभावेण वट्टदे दव्वं
उत्तरपरिणामजुदं तं चिय कज्जं हवे णियमा ।।
सिद्धान्तमां एम बताव्युं छे के पूर्व परिणामयुक्त जे द्रव्य छे
ते कारणभाव (रूप) परिणमेलुं छे. (अने) उत्तर परिणामयुक्त जे
द्रव्य छे ते कार्यभाव (रूप) परिणमेलुं छे. केम के पूर्व परिणाम उत्तर
परिणामनुं कारण छे, पूर्व परिणामनो व्यय ते उत्तर (परिणाम)ना
उत्पादनुं कारण छे. जेम माटीना पिंडनो व्यय घट कार्यनुं कारण छे.
कोई प्रश्न करे केउत्तर परिणाममां उत्पादमां शुं कार्य थाय
छे?
तेनुं समाधाान :स्वरूपलाभ लक्षणवाळो उत्पाद छे, स्वभाव
प्रच्यवन लक्षणवाळो व्यय छे; तेथी स्वरूपलाभमां कार्य छे.
निःसंदेह जाणो. (उत्पादना कार्यरूप स्वरूपलाभ) परमात्मामां समये
जुओ स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा गा. २२२ अने २३०.
१. जुओ गुज. प्रवचनसार, पृ १५०.