Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Prakashkiy Nivedan (Dvitiy Avrutti).

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(बीजी आवृत्ति प्रसंगे)
प्रकाशकीय निवेदन
आ ‘चिद्दविलास’ ग्रंथ, अध्यात्म अने सिद्धांतनुं सूक्ष्म ज्ञान जेमने हतुं
तेवा श्री दीपचंदजी काशलीवालनो रचेल छे. ग्रंथ नानो होवा छतां, सैद्धांतिक
विषयनी सूक्ष्मता अने निरूपण महान परमागमोमां होय तेवो विषय तेमणे
आ ग्रंथमां लख्यो छे. ते संबंधी टूंकामां ‘‘भूमिका’’मां वर्णन करेल छे; ग्रंथ
कर्तानी बीजी पण रचनाओ, अनुभव-प्रकाश, ज्ञानदर्पण, अध्यात्म पंच संग्रह,
भावदीपिका वगेरे पण जिज्ञासु मुमुक्षुओए स्वाध्याय करवा योग्य छे.
गुजरातीभाषी मुमुक्षु समाज आ ग्रंथने सरळताथी समजी शके ते माटे
प्रथम विक्रम संवत २००६मां गुजराती अनुवादमां आ ग्रंथनुं प्रकाशन
करवामां आवेल त्यारबाद घणा समयथी प्राप्य नहि होवाथी अने मुमुक्षुओनी
मागणी रहेवाथी बीजी आवृत्तिरूपे हाल प्रकाशन करवामां आवेल छे.
परम पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीना महान प्रभावना उदये प्रतिदिन
सत् धर्म-प्रभावना वृद्धिगत थई रही छे अने सत् साहित्य द्वारा साराये
भारतमां तत्त्व-प्रचार अति सुंदर थई रह्यो छे अने आ ट्रस्टमां प्रतिवर्ष लाखो
रूपियानुं साहित्य वेचाण थाय छे; ते गुरुदेवश्रीनो महान प्रताप छे; समाज
उपर अनुपम उपकार छे.
आ ग्रंथनो गुजराती अनुवाद प्रथम संस्करण वखते भाईश्री ब्र.
चंदुलाल खीमचंदभाईए करी आपेल, ते बदल तेमनो आभार मानवामां
आवे छे.
अंतमां, आ अध्यात्म-ग्रंथना स्वाध्यायथी मुमुक्षु जीवो निजहित साधे
तेवी भावना छे.
बीजा श्रावण वद
सोनगढ
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ-
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