Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Parinama Shaktina Bhed.

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चिद्दविलास
परिणामशकितना भेद
हवे, वस्तु विषे परिणामशक्तिनुं वर्णन करीए छीएः
गुणसमुदाय द्रव्य छे, ते द्रव्य पोताना गुण-पर्याय स्वभाववडे
उत्पाद-व्यय-ध्रुवथी आलिंगित छे. गुणरूप सत्ताना बे भेद छेएक
साधारण, एक असाधारण. द्रव्यत्व आदि साधारण, ज्ञानादि
असाधारण सत्ता छे. ज्ञान-दर्शनादि विशेष गुणोना सत्त्वथी जीव
प्रगट्यो (अर्थात् जणायो) त्यारे (जीवना) वस्तुत्व वगेरे सर्वे गुणो
जणाया. माटे असाधारण वडे साधारण छे. साधारण वडे असाधारण
छे. ए सर्व द्रव्य-गुण-पर्याय पोताना यथाअवस्थितपणावडे स्वच्छ थया,
त्यारे परना अभावने लीधे अभावशक्तिरूप थया. निज वस्तुनो सकळ
भाव परना अभाव वडे चिद्विलासथी शोभित स्वरसथी भरेलो,
त्यागउपादानशून्य, सकळ कर्मनो अकर्ता, (तथा) अभोक्ता, सर्वकर्ममुक्त
आत्मप्रदेश, सहज मग्न, परमूर्ति रहित अमूर्तरूप, षट्कारकरूप द्रव्य-
क्षेत्र-काळ-भावरूप, संज्ञा-संख्या-लक्षण-प्रयोजनादि रूप नित्यादि
स्वभावरूप, साधारणादि गुणरूप (तथा) अन्योन्य उपचारादि रूप
एवा
अनंत भेदअभेद (रूप) छे. (तेमां) सामान्य-विशेष आदि अनंत
नयोथी, अनंत विवक्षाओथी अनंत सप्तभंग साधवा.
अनादिअनंत, अनादिसांत, सादिशांत अने सादि अनंतए चार
भंग सर्वे गुणोमां लागु पडे छे. ते कहीए छीएः प्रथम ज्ञानमां
साधीए छीए.
१. जुओ, समयसार गुज. पृ. ५०४