Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 70. SHREE SIMNDHAR BHAGAVAN-STAVAN (SUNDAR SWARNAPURIMA).

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गुरुजी मारा! चैतन्यरस वरसावजो रे, (२)
अम सेवकने भवोदधितारणहार छो;
देव, गुरु ने शास्त्र वसो मनमंदिरे रे, (२)
अम सेवकने शिवसुखना दातार छो....स्वर्ण० १५.
७०. श्री सीमंधारभगवानस्तवन
(रागगाजे पाटणपुरमां)
सुंदर स्वर्णपुरीमां स्वर्ण - रवि आजे ऊग्यो रे,
भव्यजनोनां हैये हर्षानंद अपार,
श्री सीमंधर प्रभुजी पधार्या छे अम आंगणे रे.......१.
(वसंततिलका)
निर्मूळ मोह करीने प्रभु निर्विकारी,
छे द्रव्यभाव सहुना परिपूर्ण साक्षी;
कोटि सुधांशु करतां वधु आत्मशान्ति,
कोटि रवींद्र करतां वधु ज्ञानज्योति.
जेनी मुद्रा जोतां आत्मस्वरूप लखाय छे रे,
जेनी भक्तिथी चारित्रविमळता थाय,
एवा चैतन्यमूर्ति प्रभुजी अहो ! अम आंगणे रे. सुंदर० २.
‘सद्धर्मवृद्धि वर्तो’ जयनाद बोल्या,
श्री कुन्दना विरहताप प्रभु निवार्या;
सप्ताह एक वरसी अद्भुत धारा,
श्री कुन्दकुन्द हृदये परितोष पाम्या.
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