जिनवर-प्रतिमा जिनवर सरखां जाणीए रे, (२)
सद्भक्तोने भवथी पार उतारतां;
आश्चर्यकारी मुद्रा प्रभुनी शोभती रे, (२)
भक्तजनोने आश्चर्य उपजावती;
कहानगुरुने आश्चर्य उपजावती....स्वर्ण० १०.
अनिमिष नयने निरखुं जिनवरदेवने रे, (२)
जिनदर्शनमां अंतरिया थंभी रह्यां;
निरख्या करुं हुं निशदिन श्री जिननाथने रे, (२)
जिनदर्शनमां मनडां अम लागी रह्यां....स्वर्ण० ११.
कई विध वंदुं, कई विध पूजुं नाथने रे, (२)
तृप्ति न थाये, अंतरियां उलसी रह्यां;
विधविधनां पूजन रचावो आंगणे रे, (२)
माणेक-मोतीनां मंडल मंडावो मंदिरे....स्वर्ण० १२.
रत्नचिंतामणि नाथ पधार्या आंगणे रे, (२)
जिनजी मारा सर्व सिद्धि दातार छे;
हीरा-मोतीना स्वस्तिक रचावो आंगणे रे, (२)
त्रिभुवनतारक देव पधार्या आंगणे....स्वर्ण० १३.
महाभाग्येथी जिनवरदर्शन पामिया रे, (२)
प्रभुजी मारा! निये दर्शन आपजो;
जिनजी मारा! नित्ये सेवा आपजो रे, (२)
अम सेवकनी विनतडी स्वीकारजो;
अम सेवकने नित्ये शरणे राखजो....स्वर्ण० १४.
गुरुजी-प्रतापे जिनवरदर्शन पामिया रे, (२)
गुरुवरजीनां कृपामृत वरसी रह्यां;
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