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८. योगीन्द्रोने वंदन
योगीन्द्रो! तव पुनित चरण वंदन करुं,
उन्नत गिरिशृंगोना वसनारा तमे,
आव्या रंकघरे शो पुण्य प्रभाव जो;
अर्पणता पूरी ना अपने आवडे,
क्यारे लईशुं उर – करुणानो ल्हाव जो.....योगीन्द्रो०
सत्यामृत वरसाव्यां आ काळे तमे,
आशय अतिशय ऊंडा ने गंभीर जो;
नंदनवन सम शीतळ छांय प्रसारता,
ज्ञानप्रभाकर प्रगटी ज्योत अपार जो....योगीन्द्रो०
अणमूला सुतनु ओ! शासनदेवीना,
आत्मार्थीनी एक अनुपम आंख जो;
संत सलुणा! कल्पवृक्ष! चिंतामणि!
पंचम काळे दुर्लभ तव दिदार जो....योगीन्द्रो०
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९. माताने स्वप्नां लाधयां ने.......
माताने स्वप्नां लाध्यां ने झबकीने जाग्यां उजमबा,
स्वप्नां ए मीठडां लाग्यां ने दुंदुभि वाग्या उजमबा. १.
जोयुं हृदयमां जागी ने नींदडी त्यागी उजमबा,
कूखे आव्या छे बडभागी ने भावठ भांगी उजमबा. २.
माताने उछरंग आव्यो ने संदेशो सुणाव्यो उजमबा,
मातपिताने हर्ष न मायो, जोषीने तेडाव्यो उजमबा. ३.
जोषीए जोष एम जोया ने मनडां मोह्यां उजमबा;
कां कोई नगरीनो राया के जग-तारणहारो उजमबा. ४.