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अजोड संतनी वधाई वागे छे,
केसरी सिंहनी वधाई वागे छे;
ए तो गुणमां वधतो गाजे छे....गुरु-जन्म० ६.
दिव्यध्वनिनां रहस्यो जेणे खोल्यां छे,
शास्त्रना ऊंडा मर्म ऊकेल्या छे;
ए तो जगना तारणहार जाग्या छे...गुरु-जन्म० ७.
प्रभु सेवक लळी पाय लागे छे,
आत्मलाभनी वधाई आजे वागे छे;
कृपानाथ कृपा वरसावे छे....गुरु-जन्म० ८.
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११. सुवर्णपुरे वस्या एक संत
(रागः भेटे झूले छे तलवार)
सुवर्णपुरे वस्या एक संत,
जन्म्या भव्योने तारवा;
जेनां पगलांथी कणकण पावन,
बन्युं सुवर्ण तीर्थधाम, जन्म्या०
अपूर्व अलख कोई एणे जगाड्यो,
जगाड्या अनेक भव्य जीव, जन्म्या० १.
सोळ कळाए ज्ञानसूर्य प्रकाश्यो,
प्रकाश्यो चैतन्यराज, जन्म्या०
जेनी मुद्रामां शांतरस छवाणा,
वाणीमां अमीरस धार, जन्म्या० २.
अंतरपटमां गूढता भरी छे,
कळवी महा मुश्केल, जन्म्या०