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कुंदकुंदगुरुनो केडायत संत ए,
समयसार शास्त्रनो पचावनार संत ए;
खोल्यां रहस्य अणमूल... .संत० ४.
अज्ञान अंधारां नशाडवा ए शूरवीर,
ज्ञानप्रकाश प्रकाशवा ए भडवीर;
भव्यनो उद्धारनार वीर....संत० ५.
निज स्वरूपनी मस्तीमां मस्त ए,
आत्म अखंडमां थया अलमस्त ए;
वाणीए झरे अमीरस....संत० ६.
उत्तम भाग्यथी संत ए सेविया,
सेवकनां सर्व कार्य सुधरियां,
वंदन होजो अनंत....संत० ७.
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१८. अमूल्य जिन वाणी
हो भविया पामी अमूल्य जिनवाणी,
हो भविया पामी अमूल्य ॐवाणी,
हो भविया पामी अमूल्य गुरुवाणी,
तुं ऊतरजे अंतरमांही....हो० १.
त्रिभुवनदीपक जिननी सेवा,
अखूट गुणना मेवा लेवा;
सेवीए आ सत्-धर्मवाणी....हो० २.
दीपक ज्ञाननो घटमां जगावी,
दर्शनशुद्धि निर्मळ पामी;
सुणीए ए दिव्य जिनवाणी....हो० ३.