Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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[ २२ ]
ब्रह्मांड मांही भानु तेरी आरती उतारे,
श्री गुरुदेव तेरी महिमा दिगन्त गाजे. १.
कुंदकुंदे कुंदन रोप्यां, अमृते अमृत रेड्यां,
कहान गुरुए घाट घडिया, अचिंत्य काज सरियां;
कुंदकुंद मुखारविंदतें प्रगटी ए दिव्य वाणी,
गुरुजी घट व्यापी, परम प्रकाश पामी. २.
मंगळ तरु धरनारी, भवजळ तारनारी,
बंध-विदारणहारी, मुक्तिनी ए निसरणी;
श्री समयसारवाणी त्रिजगहितकारी,
महिमा करुं शी तेरी, अल्प मति छे मेरी. ३.
हे सद्गुरुदेवा, सुरराज सारे सेवा,
मोक्षमार्ग एवा, समयसार आप्या मेवा;
हे जय जगतत्राता, हे जय जगतभ्राता,
हे सुखशांति दाता, सेवक दान दाता. ४.
प्रभु जय मंगळकारी, छो महा उपकारी,
पूर्ण स्वरूपनो हुं प्यासी, आश पूरजो हे स्वामी;
परभावना विसामे, शरणे आव्यो हुं तारे,
व्यवहारमां विभक्ते, स्वभावमां एकत्वे. ५.
तेरे ही काम आवुं, तेरा ही मंत्र गाऊं,
मन और देह तेरे बलिदानमें चढाऊं;
सेवामें तेरी सारी, तनको मैं भूल जाऊं,
मैं भक्ति भेट अपनी बलिदानमें चढाऊं. ६.