Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 25. KAHANGURU BIRAJO MANAMANDIRIYE.

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[ २६ ]
२५. कहानगुरुस्तुति
(रागः धर्मध्वज फरके छे)
[धर्मरत्न पूज्य बहेनश्री चंपाबेनना अंतरमांथी वहेली भावभीनी भक्ति]
कहानगुरु बिराजो मनमंदिरिये;
वसो विदेही गुरु अम अंतरिये;
कल्पवृक्ष फळ्यां अम आंगणिये.
शी शी करुं तुज पूजना, शी शी करुं तुज वंदना;
गुरुजी पधार्या आंगणे, अम हृदय उलसित थई रह्यां.
पंचम काळे पधार्या गुरु तारणहार;
स्वर्णे बिराज्या सत्य प्रकाशनहार....कहानगुरु० १.
दिव्य तारुं द्रव्य छे ने दिव्य तारुं ज्ञान छे;
दिव्य तारी वाणी छे ने अम जीवन-आधार छे.
चैतन्यदेव प्रकाश्या गुरु-अंतरमां;
अमृतधारा वरसी सारा भारतमां....कहानगुरु० २.
सूर्य-चंद्रो गगनमां गुणगान तुज करता अहो!
महिमाभर्या गुरुदेव छो, शासन तणा शणगार छो.
नित्ये शुद्धात्मदेव-आराधनहार;
ज्ञायकदेवना साचा स्थापनहार....कहानगुरु० ३.
श्रुत तणा अवतार छो, भारत तणा भगवंत छो;
अध्यात्ममूर्ति देव छो, ने जगत-तारणहार छो.
सूक्ष्म तत्त्वना भावो जाणनहार;
मुक्तिपंथना साचा प्रकाशनहार....कहानगुरु० ४.
भरी अर्घना थाळो वधावुं भावथी गुरुराजने;
भगवंत भाविना पधार्या, सेवक तारणहार छे.