Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 24. JINANDA-CHAND VANEE.

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[ २५ ]
गुरुवाणीनुं मनन करीने, पामुं अलौकिक भान;
क्षणे क्षणे हुं ज्ञायक समरुं, पामुं केवळज्ञान रे...सुख० ४.
तारुं हृदय गुरु! ज्ञान-समतानुं, रह्युं निरंतर धाम;
उपकारोनी विमल यादीमां, लाखो वार प्रणाम रे...सुख० ५.
२४. जिणंद-चंद-वाणी
जिणंद-चंद-वाणी, अनुपम अमी समी छे;
गुणरत्न केरी खाणी, बुधमानसे रमी छे.
गुरु कहान केरी वाणी, अनुपम अमी समी छे;
गुणरत्ननी ए खाणी, बुधमानसे रमी छे.
मीठाश जेनी जाणी, गर्वो बधा गळे छे;
जस पान काने करतां, भवव्याधिओ टळे छे...जिणंद० १.
पशुओ जे चावे तरणां, साकर शरण धरे छे;
शरमाई मीठी द्राक्षो, वनवासने करे छे...जिणंद० २.
पीलुमां पीलाई इक्षु, अभिमानने तजे छे;
अभिनंदनीय ते छे, अभिवंदनीय जे छे...जिणंद० ३.
कृपाळु गुरुचरणे, शरणे रही भणे छे;
जिनवाणी-नाव संगे भवतीर दास ले छे;
गुरुवाणी-नाव संगे भवतीर दास ले छे...जिणंद० ४.