Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 23. SUKHASHANTIPRADATA.

< Previous Page   Next Page >


Page 24 of 95
PDF/HTML Page 32 of 103

 

background image
[ २४ ]
भगवान कुंदकुंदनुं शासन वर्ते छे जयवंत;
तुज कुळने दिपाव्युं, गुरु कहानदेव विजयवंत....
वागे छे ज्ञानवाजां० ९.
जगतशिरोमणि छो, जगपूज्य वंदनिक छो;
वीतरागदेव वीरना, गुरु आप लघुनंदन छो...
वागे छे ज्ञानवाजां० १०.
इन्द्रो अने नरेन्द्रो, मांहो मांहे वात करता;
आ भरतक्षेत्र मांही, ए वीर कोण जाग्यो.....
वागे छे ज्ञानवाजां० ११.
चालो सहु मळीने, सुवर्णपुरी जईए;
ज्ञायकस्वरूप सुणीने, जीवन कृतार्थ करीए....
वागे छे ज्ञानवाजां० १२.
भक्ति करवाने तारी, शरणे आव्यो हुं वारी;
दीन-हाथ ग्रहो कृपाळु, मुज रंकने उगारी....
वागे छे ज्ञानवाजां० १३.
२३. सुखशांतिप्रदाता
सुखशांतिप्रदाता, जगना त्राता, कहानगुरु महाराज;
जनभ्रांतिविधाता, तत्त्वोना ज्ञाता, नमन करुं छुं आज....१.
जडतानो आ धरणी उपर, हतो प्रबळ अधिकार;
कर्यो उपकार अपार प्रभु! तें, प्रकाश्या शास्त्र उदार रे...सुख० २.
वरसावी निज वचनसुधारस, कर्यो सुशीतल लोक;
समयसारनुं पान करीने, गयो मानसिक शोक रे...सुख० ३.