Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 31. AAVO AAVONE SUR-NARVRUND.

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धन्य भूमि, धन्य धूळ ने, धन्य अहो अम भाग्य;
गुरुवर साथे दर्शन थयां, निरख्यां पावन धाम...शिखर० १२.
साक्षात् जिनदर्शन थयां, शाश्वत जिननां धाम;
साक्षात् सिद्धने निरख्या, एवो आनंद अपार....शिखर० १३.
संमेदशिखरनी सेवा करे, देवगणनां रे वृंद;
पावन पावन धाम जे, शिखर मंगलकार...शिखर० १४.
गुरुजी यात्रा पधारिया, भारत-तारणहार;
नगर नगर गुरु विचर्या, वाणी वर्षे अमीधार....शिखर० १५.
सुवर्ण-अवसर यात्रा तणा, मळिया गुरुजीना साथ;
ज्ञायकदेव समजाविया, शरणे राखो नाथ....शिखर०
गुरुजी मंगलकार...शिखर० १६.
३१. अह{ जन्म्या त्रिभुवननाथ
(रागः आवो आवो सीमंधरनाथ)
आवो आवोने सुरनरवृंद पुलकित हृदये रे,
अहीं जन्म्या त्रिभुवननाथ अयोध्या नगरे रे. आवो० १.
आ नगरी अयोध्या धाम अति अति सोहे रे,
एनी शोभा वरणी न जाय, मनडुं मोहे रे. आवो० २.
त्रैकालिक त्रिभुवननाथ अयोध्या जन्मे रे,
शाश्वत ए तीरथधाम, स्तवुं शुं वयणे रे. आवो० ३.
जन्मोत्सव जिनना थाय मंगल नगरे रे,
आ पावन तीरथधाम, अंतर ऊछळे रे. आवो० ४.
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