Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 61. MARA MANDIRIYAMA TRISHALANAND.

< Previous Page   Next Page >


Page 79 of 95
PDF/HTML Page 87 of 103

 

background image
जिनवाणी-प्रसंग विधविधना रे,
गुरु ‘कहान’ प्रतापे निरखाय....जिनवाणी०
गुरु ‘कहान’ महिमा छे महान....जिनवाणी० ११.
महामंगळमूर्ति गुरु माहरा रे,
अहो! मंगळ कार्यो करनार....जिनवाणी०
देव-शास्त्र-गुरु जयकार....जिनवाणी० १२.
६१. श्री वीरजिनेन्द्र स्तवन
मारा मंदिरियामां त्रिशलानंद पधारिया रे,
मारा हैडामांही हर्ष अति उभराय,
रूडा श्रुतमंदिरिये वीरप्रभुजी पधारिया रे...मारा० १.
भारतना तीरथपति, चोवीशमां जिनराय
भरते पधार्या भाग्यथी, त्रण भुवनना नाथ.
जेने नीरखतां ज टळ्या संशय मुनिराजना रे,
जेणे बाळवये फणीधर सह खेल्या खेल,
एवा सन्मतिदेवा आज पधार्या आंगणे रे;
एवा महावीरदेवा आज पधार्या आंगणे रे...मारा० २.
उग्र तपस्या आदरी, वनमांही जिनराज;
उपसर्गे निश्चळ रही, साध्यां आत्मनिधान.
वंदो वीरप्रभु अतिवीरप्रभु महावीरने रे,
जेनी वीरताना देवेन्द्रो गुण गाय,
एवा वर्धमान जिनेन्द्र पधार्या आंगणे रे;
एवा त्रिलोकी भगवान पधार्या आंगणे रे...मारा० ३.
[ ७९ ]