सर्व करमनो क्षय करीने, सिद्धपद प्राप्ति थाय रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ४.
पावापुरी सिद्धक्षेत्र प्रभुजी, समश्रेणी कहेवाय रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ५.
निर्वाणकल्याणक सुरपति ऊजवे स्वर्गेथी ऊतरी आज रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ६.
अखंडानंदस्वरूप प्रगटावी पहोंच्या शिवपुरधाम रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ७.
देवदुंदुभि वाजिंत्र वागे, निर्वाणमहोत्सव थाय रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ८.
त्रीश वर्ष प्रभु दिव्यध्वनिनो अपूर्व छूट्यो धोध रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ९.
ध्वनि सुणीने भव्य जीवोनां हृदयपट पलटाय रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. १०.
वीरना वारस कहानगुरुजी वर्तावे जयजयकार रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ११.
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६८. सोना – सूरज ©गियो रे
सुवर्णपुरीमां सोना-सूरज ऊगियो रे जिनजी,
पूर्या पूर्या मोतीना चोक,
सुरनर, आवो आवो प्रतिमाजीने पूजवा रे जिनजी० १.
सीमंधर प्रभुजी आव्या छे अम आंगणे रे जिनजी,
नेमजिणंद प्रभु आव्या जयजयकार, सुरनर० २.
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