Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 67. VIRJINU SHASAN ZOOLE RE.

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स्वर्णे नित गुरुमुखथी अमीवर्षा थती,
पंचम काळे पराक्रमी भडवीर जो....चांदलिया! ७.
गुणमूर्ति अद्भुत श्रुतधर गुरुदेव! छो,
चिंतामणि सम चिंतित फळ दातार जो;
मंगळतामय शीतळ तारी छांयडी,
सत्य धरमना आंबा रोप्या नाथ! जो....चांदलिया! ८.
गुरुजी! तारा पड्या विरह वसमा घणा,
तारणहार थया नयनोथी दूर जो;
सेवकने छोडी गुरुजी चाल्या गया,
अंतरमां तो नित्य बिराजो नाथ! जो....चांदलिया! ९.
भवभवमां हो तुज चरणोनी सेवना,
अनंत-उपकारी भावी भगवंत जो;
शुद्धात्माना शरणे साधी साधना,
नित्ये रहेशुं देव-गुरुनी साथ जो....चांदलिया! १०.
६७. वीरजीनुं शासन Iूले रे
वीर प्रभुजी मोक्ष पधार्या, गौतम केवळज्ञान रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. १.
देवदेवेन्द्र महोत्सव करे ज्यां, दिन दिवाळी उजवाय रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. २.
शैलेशीकरणे चड्या प्रभुजी, अयोगीपद धर्युं आज रे,
वीरजीनुं शासन झूले रे. ३.
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