Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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विदेहमां स्वर्गेथी गुरुजी पधारता,
सीमंधरदर्शनथी तृप्ति अपार जो;
वैमानिक-परिषदमां गुरुवर-बेसणां;
भावभीना झीले ध्वनि अमृतधार जो....चांदलिया! २.
स्वर्णपुरीनां धामो आ सूनां थयां,
भरतक्षेत्रने छोडी चाल्या नाथ जो;
(स्वर्णपुरीने छोडी चाल्या नाथ जो;)
तुज विरहे हृदयो भक्तोनां रडी रह्यां,
टळवळता ज्यम मातविहूणां बाळ जो....चांदलिया! ३.
विदेहक्षेत्रे गुरुजी जेम पधारता,
तेम पधारो स्वर्णपुरी मोझार जो;
स्वर्णपुरे भक्तो तुज दर्शन झंखता,
दर्शन दो, वाणी वरसावो, नाथ! जो....चांदलिया! ४.
तुज चरणोमां मनडुं मुज लागी रह्युं,
अंतरमांही लाग्यो रंग मजीठ जो;
तुज दर्शननी सेवकने नित झंखना,
श्रवण करावो चिद्रसझरता नाद जो....चांदलिया! ५.
विमानवासी, दिव्य शक्तिधर देव छो,
विधविध कार्ये समर्थ छो गुरुदेव! जो;
आशा पूर्ण करोने गुरुजी! दासनी,
स्वर्णे पधारी वर्तावो जयकार जो,
(आनंदमंगळ वर्तावो गुरुराज! जो.)....चांदलिया! ६.
भरते एक अजोड रतन गुरुजी! तमे,
अंतर ऊछळ्यां श्रुतसागरनां पूर जो;
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