Ishtopdesh-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्लोकविषयपृष्ठ
( 11 )
२९.कइ भावनाथी जन्म-मरणनां दुःख दूर थाय? ------------------------------------------- ९३
३०.उि.छष्ट भोगोमां ज्ञानीने केम स्पृहा होय? --------------------------------------------- ९५
३१.पुद्गल कर्मोनो बंध जीव साथे केवी रीते थाय छे? -------------------------------------- ९७
३२.परोपकारी मटी स्वोपकारी बन. ------------------------------------------------------- १०१
३३.स्व-परना भेदविज्ञाननो उपाय अने तेनुं फळ ----------------------------------------- १०३
३४.आत्मा ज आत्मानो गुरु केम छे? ----------------------------------------------------- १०५
३५.आत्मा सिवाय अन्य गुरु निमित्तमात्र छे. -------------------------------------------- १०८
३६.आत्मस्वरुपना अभ्यासनो उपाय ----------------------------------------------------- ११२
३७.योगीने स्व-परनी संवित्ति छे ते जाणवानो उपाय. ------------------------------------ ११५
३८.विषयो प्रत्येनी अरुचि-ए आत्मसंवित्तिनुं चि छे ---------------------------------- ११७
३९.आत्मसंवित्तिना अन्य चिो ----------------------------------------------------------- ११९
४०.आत्मसंवित्तिना अन्य चिो ----------------------------------------------------------- १२१
४१.आत्मतत्त्वमां स्थिर थयेला योगीनुं स्वरुप --------------------------------------------- १२३
४२.योगीने स्वदेह प्रत्ये पण लक्ष होतुं नथी. ---------------------------------------------- १२५
४३.योगीने आवी अवस्था केम थाय छे? -------------------------------------------------- १२७
४४.स्वात्मानुभवमां रति होवाथी योगीने अन्य प्रवृत्तिमां अभाव ------------------------ १२९
४५.महात्माओ शाने माटे उद्यमी होय छे? शाथी? ---------------------------------------- १३०
४६.देहादिने अभिवंदवानुं फळ ------------------------------------------------------------ १३२
४७.स्वात्मध्याननुं फळ --------------------------------------------------------------------- १३४
४८.आत्मानंदनुं कार्य ----------------------------------------------------------------------- १३५
४९.आत्मज्योति माटे मुमुक्षुए शुं करवुं? ------------------------------------------------- १३६
५०.जीव-पुद्गलनुं भेदज्ञान ते ज तत्त्वसंग्रह छे बाकी बधो तेनो विस्तार छे ------------- १३८
५१.शास्त्र-अध्ययननुं साक्षात् अने परंपरा फळ. ------------------------------------------- १४०
टीका-प्रशस्ति -------------------------------------------------------------------------- १४२
पद्यानुक्रमसूची -------------------------------------------------------------१५८