प्रकाशकीय निवेदन
श्री पूज्यपादाचार्यदेव रचित, समाधिनी प्राप्ति करावनारो, अत्युत्तम ग्रन्थ ‘श्री
समाधितंत्र-समाधिशतक’, श्री प्रभाचन्द्राचार्यकृत संस्कृत टीका सहित, गुजराती अनुवादरुपे
आ संस्था द्वारा पहेलां इ.स. १९६६मां प्रसिद्ध थयो छे अने जिज्ञासु भाइ-बहेनोए तेने सारो
आवकार आयो छे. तेनाथी प्रेरणा पामी, ते आचार्यभगवाननी भेदज्ञानमूलक बीजी कृति
‘इष्टोपदेश’, गुजराती अनुवाद सहित, प्रकाशित करतां अत्यानंद थाय छे.
वीतराग सर्वज्ञ परमात्मा इष्ट(हित)ना उपदेष्टा छे. ते सर्वज्ञवाणी अनुसारे श्री
पूज्यपादाचार्यदेवे ‘इष्टोपदेश’नी रचना करी छे अने तेने अनुसरीने वर्तमानमां
शुद्धस्वरुपजीवी आत्मज्ञ संत पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामी, अमोघ आत्मस्पर्शी प्रवचनो
द्वारा निरंतर इष्टोपदेश आपी, आपणने उपकृत करी रह्या छे ते बदल तेमनां पावन
चरणारविंदमां अत्यंत भक्तिभावे नमस्कार!
जेम ‘समाधितंत्र’नो गुजराती अनुवाद सद्धर्मप्रेमी भाइश्री छोटालाल गुलाबचंद गांधी
बी.ए. (ओनर्स), एस.टी.सी. (सोनासणवाळा)ए कर्यो छे तेम आ ‘इष्टोपदेश’नो गुजराती
अनुवाद पण तेमणे ज तैयार करी आयो छे. (तेमनो परिचय ‘समाधितंत्र’ना प्रकाशकीय
निवेदनमां आयो छे.) आ अनुवाद तेमणे जिनप्रवचन प्रत्येनी भक्तिथी प्रेराइने
प्रमुदितभावे, तद्दन निःस्पृहतापूर्वक करी आयो छे. इष्टोपदेशना भावो जाळवी राखवा तेमणे
अत्यंत चीवट राखी छे. ते माटे आ संस्था तेमनी अत्यंत ऋणी छे अने तेमने धन्यवाद आपवा
साथे तेमना प्रत्ये आभार प्रदर्शित करे छे.
ता. ८-२-१९६८साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)
( 3 )