Ishtopdesh-Gujarati (Devanagari transliteration). PrakAshakiy nivedan (trutiy Avrutti).

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प्रकाशकीय निवेदन
(तृतीय आवृत्ति)
वीतराग जिनप्रवचनना सूक्ष्म रहस्योथी भरपूर एवा आ ‘इष्टोपदेश’ नामना लघुग्रंथ
उपर, अध्यात्मतत्त्वानुभवी सन्मार्गप्रकाशक परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीए आपेलां
अध्यात्मरहस्यभरपूर, अर्थगंभीर तेमज ज्ञानवैराग्यप्रेरक अद्भुत प्रवचनो ‘आत्मधर्म’
मासिक पत्रमां प्रकाशित थयां छे, जे वांचीने, अनेक मुमुक्षुहृदयो प्रभावित थवाथी, केटलाक
मुमुक्षु महानुभावोनी घणा वखतथी अप्राय एवा आ गुजराती संस्करणनी त्रीजी आवृत्ति
छपाववानी मांगणी हती.
अध्यात्मयुप्रवर्तक परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीनी पवित्र साधनाभूमि
अध्यात्मतीर्थधाम सुवर्णपुरीमां (सोनगढमां) स्वानुभवविभूषित प्रशममूर्ति पूज्य बहेनश्री
चंपाबेननी आत्मसाधना तेमज देवगुरुभक्तिभीनी मंगळ छाया तळे पूर्ववत् जे अनेकविध
धार्मिक गतिविधि प्रवर्ते छे तेना एक अंगरुप सत्साहित्यप्रकाशनविभाग द्वारा जे आर्षप्रणीत
मूळ शास्त्रो तथा प्रवचनग्रंथो वगेरे प्रकाशित करवामां आवे छे ते पैकीनुं आ, ‘इष्टोपदेश’ना
गुजराती संस्करणनी त्रीजी आवृत्तिरुप पुनःप्रकाशन छे.
आ आवृत्तिमां परमश्रुतप्रभावक मंडळ, श्रीमद् राजचंद्र आश्रम, अगास द्वारा प्रकाशित
इष्टोपदेश ग्रंथमांथी श्री धन्यकुमारजी जैन कृत हिन्दी टीकानो पण समावेश करवामां आव्यो छे.
पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीए आ ग्रंथ उपर कल्याणकारी प्रवचनो कर्यां ते समये तेओश्री
समक्ष आ हिन्दी टीका होवाथी मुमुक्षुओने प्रवचनो सांभळवामां अने समजवामां सुलभता रहे
ते हेतुथी आ आवृत्तिमां हिन्दी टीकानो पण समावेश करवामां आव्यो छे. ते बदल अमो
उपरोक्त संस्थानो पण आभार मानीए छीए.
आ आवृत्तिनुं सुंदर मुद्रण वगेरे करी आपवा बदल ‘कहान मुद्रणालय’ना संचालकनो
आभार मानीए छीए.
मुमुक्षु आमांथी सम्यक्प्रकारे इष्ट उपदेश ग्रहण करी सर्व आकुलतारुप दुःखनो नाश
करी निराकुलतारुप सुखनी प्राप्ति करे ए ज भावना.
आसो वद अमास (दीपावली)
भगवान महावीर निर्वाणकल्याणक दिन
वि.सं. २०६५
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)
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