Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration). Pratham Adhyay.

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प्रथम अधयाय
१ प्र. द्रव्य कोने कहे छे?
उ. गुणोना समूहने द्रव्य कहे छे.
२ प्र. गुण कोने कहे छे ?
उ. द्रव्यना पूरा भागमां अने तेनी सर्व हालतोमां
(अवस्थामां) जे रहे, तेने गुण कहे छे.
३ प्र. गुणना केटला भेद छे ?
उ. बे छेःएक सामान्य, बीजो विशेष.
४ प्र. सामान्यगुण कोने कहे छे ?
उ. जे सर्व द्रव्योमां व्यापे, तेने सामान्यगुण कहे छे.
५ प्र. विशेषगुण कोने कहे छे ?
उ. जे सर्व द्रव्योमां न व्यापे, तेने विशेषगुण कहे छे.
प्र. सामान्यगुण केटला छे ?
उ. अनेक छे, पण तेमां छ गुण मुख्य छे. जेम
केःअस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व
अने प्रदेशत्व.
स्तुति
मंगलं भगवान वीरो मंगलं गौतमो गणी
मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैनधर्मोऽस्तु मंगलम् ।।
आत्मा ज्ञानं स्वयं ज्ञानं ज्ञानादन्यत्करोति किम्
परभावस्य कर्तात्मा मोहोऽयं व्यवहारिणाम् ।।
अज्ञानतिमिरान्धानां ज्ञानाञ्जनशलाकया
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।