Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 52 of 110

 

background image
४०० प्र. वेद कोने कहे छे?
उ. नोकषायना उदयथी उत्पन्न थयेल जीवनी मैथुन
करवानी अभिलाषाने भाववेद कहे छे; अने नामकर्मना
उदयथी आविर्भूत जीवना चिह्न विशेषने द्रव्यवेद कहे छे.
४०१ प्र. वेदना केटला भेद छे?
उ. त्रण छेःस्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद.
४०२ प्र. कषाय कोने कहे छे?
उ. जे आत्माना सम्यक्त्व, देशचारित्र,
सकलचारित्र अने यथाख्यातचारित्ररूप परिणामोने घाते तेने
कषाय कहे छे.
४०३ प्र. कषायना केटला भेद छे?
उ. सोळ भेद छेःअनंतानुबंधी ४,
अप्रत्याख्यानावरणीय ४, प्रत्याख्यानावरणीय ४ अने
संज्वलन ४.
४०४ प्र. ज्ञानमार्गणाना केटला भेद छे?
उ. मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यय, केवळ तथा
कुमति, कुश्रुत अने कुअवधि.
४०५ प्र. संयम कोने कहे छे?
उ. अहिंसादिक पांच व्रत धारण करवाने, इर्यापथ
आदि पांच समितिओना पाळवाने, क्रोधादिकषायोनो निग्रह
करवाने, मनोयोगादिक त्रणे योगोने रोकवाने तथा स्पर्शन
आदि पांचे इन्द्रियोना विषयोनो विजय करवाने संयम कहे छे.
४०६ प्र. संयममार्गणाना केटला भेद छे?
उ. सात भेद छेःसामायिक, छेदोपस्थापन,
परिहारविशुद्धि, सूक्ष्मसाम्पराय, यथाख्यात, संयमासंयम
अने असंयम.
४०७ प्र. दर्शनमार्गणाना केटला भेद छे?
उ. चार भेद छेःचक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन,
अवधिदर्शन अने केवळदर्शन.
४०८ प्र. लेश्यामार्गणाना केटला भेद छे?
उ. छ भेद छेःकृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म
अने शुक्ल.
४०९ प्र. भव्यमार्गणाना केटला भेद छे?
उ. बे भेद छेःभव्य अने अभव्य.
९६ ][ अध्यायः ३श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ९७